
दिव्य खत्री : खूबसूरत झरने, कल-कल निनाद करती नदियां, हरी गद्देदार घास वाले मैदान, घने जंगल और कलरव करते पक्षियों का अद्भुत संसार! यह दारमा घाटी है, उत्तराखंड की सबसे सुन्दर घाटी। स्नो लैपर्ड ओर सफेद भालू की धरती जो कभी मस्ती करते तो कभी भोजन की तलाश करते इस बेहद सर्द और विरल आबादी वाले क्षेत्र में कभी-कभार नजर आ जाते हैं।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में तिब्बत और नेपाल सीमा से लगी इस घाटी की शुरुआत धारचूला तहसील मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर दर गवन से होती है। करीब सात हजार फीट की ऊंचाई पर बसे इस गांव से करीब 30 किलोमीटर दूर पंचाचूली पर्वत श्रृंखला है। पांच हिम-धवल शिखरों वाली इस श्रृंखला से ही धौली गंगा निकलती है जिस पर 280 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना बनाई गई है। दारमा घाटी के असली सौन्दर्य का आनन्द लेने के लिए पर्यटक दुग्तू और दंतू गांव पहुंचते हैं। ये दोनों गांव दारमा घाटी के सबसे खूबसूरत छोर पर एक-दूसरे के सामने बसे हुए हैं। डार से पंचाचूली ग्लेशियर जाने वाला मार्ग दुग्तू गांव से होकर ही गुजरता है।
यह घाटी नवम्बर से मार्च तक बर्फ से ढकी रहती है। यहां ट्रैकिंग का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और और सितम्बर-अक्टूबर माना जाता है।
दारमा घाटी में होम स्टे की सुविधा उपलब्ध है। इस क्षेत्र में रेगुलर पुलिस के साथ ही भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) भी तैनात रहती है।

यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर हैं जहां से तीन घंटे का सफर कर पिथौरागढ़ पहुंचा जा सकता है। पिथौरागढ़ के पास ही नैनी-सैनी हवाई पट्टी है जहां के लिए गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट से छोटे विमान उड़ान भरते हैं।